शीघ्रपतन (Premature Ejaculation)

आयुर्वेद में शीघ्रपतन (Premature Ejaculation) को “धातु क्षय” या “वीर्य विकार” के रूप में देखा जाता है, और इसके उपचार के लिए प्राकृतिक जड़ी-बूटियों, आहार और जीवनशैली सुधार का उपयोग किया जाता है। आयुर्वेदिक उपचार का उद्देश्य शरीर और मन दोनों के संतुलन को बहाल करना है।

शीघ्रपतन के आयुर्वेदिक कारण:
  1. वात दोष असंतुलन: आयुर्वेद के अनुसार वात दोष के असंतुलन से शारीरिक और मानसिक नियंत्रण में कमी हो जाती है, जिससे शीघ्रपतन की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
  2. असंतुलित आहार और जीवनशैली: गलत खान-पान, तनावपूर्ण जीवनशैली, अत्यधिक हस्तमैथुन या कामुक विचार भी इसका कारण हो सकते हैं।
  3. धातु क्षीणता: वीर्य की कमजोरी या शरीर में धातुओं का संतुलन बिगड़ना शीघ्रपतन का मुख्य कारण हो सकता है।
आयुर्वेदिक उपचार:
1. जड़ी-बूटियाँ:
  • अश्वगंधा: यह शक्ति और ऊर्जा को बढ़ाता है और मानसिक तनाव को कम करता है।
  • शिलाजीत: यह यौन शक्ति को बढ़ाने और धातु क्षय को रोकने में सहायक है।
  • कौंच बीज: वीर्य को मजबूत बनाने और यौन शक्ति को बढ़ाने के लिए यह महत्वपूर्ण है।
  • वृहत वत चिंतामणि रस: वात दोष को संतुलित करता है और शीघ्रपतन की समस्या को नियंत्रित करने में मदद करता है।
  • यष्टिमधु (मुलेठी): तनाव कम करके यौन शक्ति बढ़ाने में मददगार है।
  • शतावरी: यौन स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और धातु क्षीणता को दूर करने में प्रभावी।
2. आहार और जीवनशैली:
  • संतुलित आहार: पौष्टिक, ताजे और प्राकृतिक आहार का सेवन करें। दूध, घी, सूखे मेवे, हरी पत्तेदार सब्जियां, और फलों का सेवन बढ़ाएं।
  • शीतल और पौष्टिक पेय: जैसे बादाम दूध और च्यवनप्राश का सेवन यौन शक्ति को बढ़ाता है।
  • ज्यादा मसालेदार और गरम चीज़ों से बचें: ये शरीर में पित्त दोष बढ़ाकर यौन समस्याओं को बढ़ा सकते हैं।
  • तनाव कम करें: योग और ध्यान को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। यह मानसिक शांति लाकर यौन स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है।
3. योग और प्राणायाम:
  • मूलबंध आसन: यह आसन शरीर में यौन ऊर्जा को नियंत्रित करता है और शीघ्रपतन की समस्या में मदद करता है।
  • कपालभाति और अनुलोम-विलोम: प्राणायाम तकनीकें मानसिक शांति और शरीर की संतुलन को बहाल करती हैं।
  • ध्यान: मानसिक शांति के लिए रोजाना 10-15 मिनट ध्यान करें।
4. आयुर्वेदिक औषधि:
  • चरक संहिता और सुश्रुत संहिता में कई औषधियों का वर्णन मिलता है जो यौन विकारों में सहायक होती हैं। इन्हें किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह से लिया जा सकता है।
5. तेल मालिश (अभ्यंगम):
  • तिल के तेल या अन्य आयुर्वेदिक तेलों से नियमित रूप से मालिश करने से शरीर में रक्त प्रवाह बेहतर होता है और यौन शक्ति में वृद्धि होती है।
कुछ महत्वपूर्ण सुझाव:
  • पर्याप्त नींद लें।
  • अत्यधिक हस्तमैथुन से बचें।
  • धूम्रपान और शराब से दूरी बनाएं।
  • अपने साथी से खुलकर संवाद करें ताकि आपसी समझ बेहतर हो सके।

आयुर्वेद में, शीघ्रपतन का उपचार प्राकृतिक और समग्र दृष्टिकोण से किया जाता है, जो शरीर के संतुलन को बहाल करके लंबे समय तक स्थायी लाभ प्रदान करता है।

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